विजय माल्या के पॉडकास्ट इंटरव्यू का अनकहा सच: कर्ज, राजनीति और एक बिजनेस टाइकून का पतन !
भारत के सबसे चर्चित बिजनेस केस में से एक, विजय माल्या और किंगफिशर एयरलाइंस की कहानी ने हाल ही में एक नया मोड़ लिया, जब माल्या ने एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में अपना पक्ष रखा। यह इंटरव्यू उनके दिवालिया एयरलाइंस, बैंकों से विवाद, और विदेश में बिताए सालों पर नई रोशनी डालता है। आइए, बिना किसी पक्षपात के समझते हैं कि माल्या ने क्या दावे किए और यह केस आज कहाँ खड़ा है।
1. "मैंने नहीं, किंगफिशर ने लिया था लोन"
- माल्या का कहना है कि ₹6,203 करोड़ का कर्ज किंगफिशर एयरलाइंस पर था, न कि उनके व्यक्तिगत नाम पर। वह सिर्फ एक गारंटर थे।
- दिलचस्प बात: सरकार ने अब तक ₹14,100 करोड़ से ज्यादा की रिकवरी कर ली है, लेकिन माल्या को बैंकों ने अभी तक फाइनल स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट नहीं दिया।
अगर कर्ज रिकवर हो चुका है, तो केस क्यों चल रहा है?
2. "2008 का क्राइसिस और सरकारी नीतियाँ थीं असली वजह"
- माल्या के मुताबिक, किंगफिशर का पतन तीन कारणों से हुआ:
- 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस
- भारत में एविएशन फ्यूल पर हाई टैक्स
- सरकार की गलत नीतियाँ
- उनका दावा: जब वह एयरलाइंस को छोटा करना चाहते थे, तो तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने नौकरियाँ बचाने के लिए उन्हें रोक दिया और बैंक सपोर्ट का आश्वासन दिया।
विरोधाभास: अगर सरकार ने मदद का वादा किया था, तो बाद में उन्हें ही टारगेट क्यों किया गया?
3. "पैसा साइफन करने के आरोप झूठे हैं"
- माल्या ने फंड्स मिसयूज के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक "झूठा नैरेटिव" है।
- उनका मानना है कि उनकी हाई-प्रोफाइल इमेज के कारण उन्हें "पोस्टर बॉय ऑफ बिजनेस फेल्योर" बना दिया गया।
- भारत में बिजनेस फेल होना अक्सर फ्रॉड समझ लिया जाता है।
भारत में बैंक फ्रॉड केस में सजा की दर सिर्फ 15-20% है, जो इस दावे को थोड़ा सपोर्ट करता है।
4. "मैं भागा नहीं, पासपोर्ट रद्द होने के बाद लौट नहीं सका"
- माल्या ने साफ किया कि वह 2 मार्च 2016 को जिनेवा में एक पहले से शेड्यूल्ड मीटिंग के लिए गए थे।
- भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया, जिसके बाद वह लौट नहीं सके।
- उनका कहना है कि अगर उन्हें "फेयर ट्रायल" का भरोसा दिलाया जाए, तो वह वापस आने पर विचार कर सकते हैं।
क्या पासपोर्ट रद्द करना एक राजनीतिक कदम था?
5. "बैंकों ने 4 सेटलमेंट ऑफर रिजेक्ट किए"
- माल्या ने दावा किया कि उन्होंने 2012 से 2015 के बीच बैंकों को चार अलग-अलग सेटलमेंट ऑफर दिए, लेकिन हर बार बैंकों ने इन्हें ठुकरा दिया।
- उनका आरोप: बैंकों ने जानबूझकर इंतज़ार किया ताकि उनकी बढ़ती संपत्तियों से ज्यादा पैसा वसूला जा सके।
बैंकों ने बाद में माल्या की यूके में जमीन, शेयर और अन्य एसेट्स बेचकर रिकवरी की।
6. "एम्प्लॉयी सैलरी न देना मेरी मजबूरी थी"
- माल्या ने कर्मचारियों को सैलरी न दे पाने पर दुख जताया, लेकिन कहा कि यह जानबूझकर नहीं किया गया।
- कोर्ट के आदेश से ₹260 करोड़ फ्रीज हो गए थे, जिसे सैलरी में इस्तेमाल करने की उनकी अर्जी को बैंकों ने ब्लॉक कर दिया।
क्या यह एक सिस्टम फेल्योर था या माल्या की गलती?
7. "RCB और किंगफिशर कैलेंडर बिजनेस स्ट्रैटेजी थी"
- माल्या ने स्पष्ट किया कि RCB टीम खरीदना या किंगफिशर कैलेंडर जैसे प्रोजेक्ट्स शौकिया प्रोजेक्ट्स नहीं थे।
- यह उनकी ब्रांड प्रमोशन स्ट्रैटेजी का हिस्सा था, जिसमें RCB ने रॉयल चैलेंज ब्रांड को ग्लोबल पहचान दिलाई।
RCB आज IPL की सबसे वैल्यूएबल टीमों में से एक है (वैल्यूएशन ~$1 बिलियन)।
8. "मैं वापस आने को तैयार हूँ, लेकिन फेयर ट्रायल चाहिए"
- माल्या ने कहा कि अगर उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का भरोसा मिले, तो वह भारत लौटने पर गंभीरता से विचार करेंगे।
- वह जेल जाने को भी तैयार हैं, लेकिन केस को मेरिट पर लड़ना चाहते हैं।
क्या भारत सरकार उन्हें यह अवसर देगी?
क्या माल्या का पक्ष सही है?
विजय माल्या का केस बिजनेस फेल्योर बनाम फ्रॉड की एक जटिल लड़ाई है। जहाँ एक तरफ बैंकों और सरकार का आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर फंड्स का दुरुपयोग किया, वहीं माल्या का कहना है कि उन्हें सिस्टम और परिस्थितियों का शिकार बनाया गया।
कुछ अहम बिंदु:
1. कर्ज की रिकवरी हो चुकी है, लेकिन केस अभी भी चल रहा है।
2. बैंकों ने सेटलमेंट ऑफर क्यों रिजेक्ट किए, यह सवाल अनुत्तरित है।
3. राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोपों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अगर माल्या वापस आते हैं और कोर्ट में अपना पक्ष रखते हैं, तो शायद इस केस का कोई स्थायी समाधान निकल सके। फिलहाल, यह केस भारतीय कॉरपोरेट गवर्नेंस और बैंकिंग सिस्टम पर कई सवाल छोड़ जाता है।
नोट: यह लेख पॉडकास्ट इंटरव्यू पर आधारित है। केस से जुड़े सभी तथ्य अदालती दस्तावेजों और आधिकारिक सूत्रों से सत्यापित किए जाने चाहिए।
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